उत्तरकाशी-गंगा विश्व धरोहर मंच ने राजकीय महाविद्यालय उत्तरकाशी के छात्रावास में घोंसले लगाकर मनाया विश्व गौरैया दिवस
उत्तरकाशी।। विश्व गौरैया दिवस के अवसर पर गंगा विश्व धरोहर मंच की पहल पर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी के छात्रावास में वृक्षों के ऊपर घोंसले लगाकर विश्व गौरैया दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के संयोजक डाॅ. शम्भू प्रसाद नौटियाल ने कहा कि इस वर्ष की थीम 'आई लव स्पैरो' है जिसका उद्देश्य गौरेया संरक्षण हेतु लोगों ध्यान आकर्षित करना है। दुनिया भर में गौरैया की 26 प्रजातियों में से 5 भारत में पाई जाती हैं। यह 'पासेराडेई' परिवार की सदस्य है। इनकी घटती आबादी को देखते हुए इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर इसे संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल कर चुकी है। गौरैया के बच्चों का भोजन शुरूआती कुछ दिनों में सिर्फ कीड़े-मकोड़े (अल्फा और कटवर्म नामक कीड़े) खिलाती है जो हमारी फसलों के लिए हानिकारक होते हैं। लेकिन आजकल लोग खेतों से लेकर अपने गमले के पेड़-पौधों में भी रासायनिक पदार्थों का खूब उपयोग करते हैं। जिससे उनके बच्चों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता। साथ ही साथ, जहां कंक्रीट की संरचनाओं के बने घरों की दीवारें घोंसले को बनाने में बाधक हैं वहीं घर, गाँव की गलियों का पक्का होना भी इनके जीवन के लिए घातक है, क्योंकि ये स्वस्थ रहने के लिए धूल स्नान करना पसंद करती हैं जो नहीं मिल पा रहा है। टेलीफोन टावरों से निकलने वाली तरंगें व ध्वनि प्रदूषण भी गौरैया की घटती आबादी का एक प्रमुख कारण है।
पीजी कालेज के वनस्पति विज्ञान के प्रभारी डाॅ. महेन्द्र पाल सिंह परमार ने कहा कि गौरैया पारिस्थितिक तंत्र व पर्यावरण के काफी महत्वपूर्ण है लेकिन पिछले कुछ सालों में गौरैया की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है जो इस बात का संकेत है कि हमारे आसपास के पर्यावरण में कोई भारी गड़बड़ चल रही है, जिसका खामियाजा हमें आज नहीं तो कल भुगतना ही पड़ेगा। पक्षी प्रेमी एस डी उनियाल ने कहा कि हमें झाड़ीनुमा छोटे पौधे घरों में लगाने के साथ गौरैया के लिए खाने का दाना घरों के खुले स्थान पर डालना चाहिए। खराब अनाज को कूड़े में न फेंककर, छत या सुरक्षित स्थान पर डालना चाहिए। स्वच्छ पानी को खाली बर्तन में रखें। लकड़ी का प्लेटफार्म घर के सुरक्षित और शांत स्थान पर बनाएं। पार्कों में गर्मी पर चिड़ियों के लिए खाली स्थान छोड़ा जाए ऐसा करने पर गौरैया अपने आप आएगी। शान्ति परमार ने बताया कि गौरैया स्वस्थ पर्यावरण का संकेतक है सुबह उठते ही इस चिड़िया की चहचाहट सुखद अहसास कराती है। गंगा विश्व धरोहर मंच के सदस्यों ने श्याम स्मृति वन व गंगोरी में घोंसले लगाये।
इस अवसर पर नमामि गंगे के परियोजना अधिकारी उत्तम पंवार, एनसीसी अधिकारी लोकेन्द्र पाल सिंह परमार, पर्यावरण प्रेमी प्रताप सिंह पोखरियाल, श्रीमती मीना पंत, कनिष्क, दीपक, अजय रावत, आलोक, जयकृत, वासुदेव सहित गंगा विश्व धरोहर मंच व क्लब के अन्य सदस्य मौजूद थे।
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