उत्तरकाशी-मानकों को ताक पर रखकर भागीरथी नदी से जीरो मीटर की दूरी पर चल रहा है स्टोन क्रेशर सरकारी मानकों के अनुसार गंगा नदी से स्टोन क्रेशर की दूरी 300 मीटर होनी चाहिए।सरकार के द्वारा शिथिल मानक के बाद,भी गंगा नदी से स्टोन क्रेशर की दूरी शून्य
उत्तरकाशी।।।जनपद मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर मातली में भागीरथी नदी से महज जीरो मीटर की दूरी पर (भागीरथी नदी और स्टोन क्रेशर के बीच की दूरी शून्य है) मानकों को ताक पर रखकर स्टोन क्रेशर चल रहा है वहीं स्टोन क्रेशर के बगल में आईटीबीपी का हेड ऑफिस और कुछ दूरी पर स्कूल भी है साथ लोगों के आवासीय भवन भी है स्थानीय लोगों के द्वारा कई बार स्टोन को बन्द करवाने के लिए धरने प्रदर्शन भी किये है बाबजूद इसके स्टोन क्रेशर पिछले लंबे समय से धड़ल्ले से चल रहा है बड़ी बात गंगा भागीरथी से स्टोन क्रेशर की दूरी शून्य है। तो सवाल आखिर कैसे शासन-प्रशासन के द्वारा स्टोन क्रेशर को चलाने की अनुमति दी गई है ?।
मातली में गंगा भागीरथी के किनारे स्टोन क्रेशर चालने से आसपास के क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण के साथ पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है साथ ही गंगा भागीरथी नदी में खनन भी हो रहा और जलीय जीवों को नुकसान भी पहुंच रहा है वहीं स्थानीय लोगों का कहना कि स्टोन क्रेशर की आड़ में रात को नदी में भारी मात्रा में खनन होता है इतना ही नहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि स्टोन क्रेशर के चलने और खनन से पौराणिक घाट और लोगों के आवागमन के रास्ते क्षतिग्रस्त हो गए है। और स्टोन क्रेशर से गंगा नदी मैली भी हो रही और लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ हो रहा है स्थानीय लोगों के द्वारा कई बार शासन-प्रशासन को लिखित मौखिक कहने पर भी इस स्टोन क्रेशर पर कोई कार्यवाही नहीं होती है।
वहीं बड़ी बात स्टोन क्रेशर को गंगा भागीरथी नदी के किनारे चलाने की अनुमति किस नियम से मिल है यह विचारणीय प्रश्न है । जबकि स्टोन क्रेशर की दूरी गंगा भागीरथी से शून्य है वहीं राज्य सरकार के स्टोन क्रेशरों की नीति नियम के अनुसार गंगा नदी से स्टोन क्रेशर पर्वतीय क्षेत्रों में 300 मीटर की दूरी पर होने चाहिए ,मातली में स्टोन क्रेशर नदी में या नदी से शून्य मीटर की दूरी पर लगा है ,अब सूत्रों की माने तो स्टोन क्रेशर को इस स्थान पर अनुमति मिली ही नहीं है ,इस स्टोन क्रेशर को गंगा नदी से 300 मीटर दूर दिखाया गया है लेकिन शासन -प्रशासन द्वारा इस स्टोन क्रेशर पर क्यों कोई कार्यवाही नहीं होती है जबकि स्टोन क्रेशर के कारण आसपास के पौराणिक रास्ते और घाट क्षतिग्रस्त हो चुके है
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