उत्तरकाशी- वैश्विक महामारी कोरोना वायरस में जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्पूर्ण देश मे 21 दिन के लॉक डॉउन की घोषणा की तो सभी लोगों के कार्य की गति रुक गई इसमें सबसे ज्यादा परेशानी मजदूरों को हुई जिनका काम पूर्ण रूप से बन्द हो गया जो लोग प्रतिदिन कमाते और खाते थे ऐसे में सभी राज्य सरकारों ने सभी लोगों को रसद किट बांटी ताकि गुजर बसर चल सके
वहीं उत्तरकाशी जनपद में जिला प्रशासन ने खाद्य आपूर्ति विभाग के माध्यम से 7739 रसद किटें बांटी और ऐसे लोगों को बांटी गई जो लोग मजदूरी करते थे इनमें से अधिकतर वे लोग है जिनके पास राशन कार्ड नहीं था या फिर दूसरे राज्यों से काम करने उत्तरकाशी आये थे ये सभी अनजान थे इसका शायद सम्पूर्ण विवरण ,जिला प्रशासन के पास उपलब्ध हो
वहीं जिला प्रशासन ने 52 लाख की खरीदी गई रसद किटों का भुगतान 30 लाख रुपये अग्रिम कर दिया भी दिया है लेकिन पूर्व में जब खाद्य आपूर्ति विभाग को एक किट में क्या-2 सामग्री है पूछी गई तो खाद्य आपूर्ति विभाग ने सब कुछ फटाफट बता दिया ,लेकिन जब एक किट का मूल्य पूछा तो मूल्य नहीं बता पाए, जब इस बारे में जिला प्रशासन से पूछा कि एक किट कितने की पड़ी तो ,पहिले हिचकिचाये,फिर खाद्य आपूर्ति अधिकारी को बुलाया उनको कहा कि रेट क्यों नहीं बताते कोई भी पूछ सकता है फिर बोला कि किट का रेट ओ सी साहब बताएंगे ,फिर ओ सी साहब ने रेट बताया ,फिर प्रति किट कितने पड़ी ऑन द रिकॉर्ड बोलो तो ओ सी साहब ने भी ऑन द रिकॉर्ड बोलने से मना कर दिया तो आखिर सवाल खड़ा यह होता है कि प्रति किट का रेट बताने में इतनी हिला हवाली क्यों? और ये अलग है कि रसद किट किसको मिली किसको नही ये बाद का विषय ,सेनेटाइजर, मास्क और कोरोना सुरक्षा समान कितने बांटे ये अलग विषय
फिर जिन दुकानों से रसद किट खरीदी गई उन एक- दो दुकानों में प्रति किट का मूल्य पूछा तो जो मूल्य जिला प्रशासन ने बताया था उसमें और दुकानदार के मूल्य में अंतर आया आपदा महामारी के कारण हो सकता है ,कोटेशन न लिए हो रसद सामग्री खरीदने का टेंडर न निकाला हो क्योंकिं महामारी हैजल्दी काम करना है यह सही है लेकिन सही मूल्य तो आज नहीं तो कल बताना ही पड़ेगा भविष्य में कई लोग विभिन्न माध्यमों से पूछेंगे
रिपोर्ट-हेमकान्त नौटियाल
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