भारत की 'हरित क्रांति' के जनक डॉ. एमएस स्वामीनाथन का 98 साल की उम्र में गुरुवार 28 सितंबर की सुबह को चेन्नई में निधन हो गया। उनके परिवार में उनकी पत्नी मीना और तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं।
स्वामीनाथन ने धान की ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों को डेवलप करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिली कि भारत के कम आय वाले किसान ज्यादा फसल पैदा करें। स्वामीनाथन को 1971 में रेमन मैग्सेसे और 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन वर्ल्ड साइंस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी के निधन से गहरा दुख हुआ। हमारे देश के इतिहास के एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय में, कृषि में उनके अभूतपूर्व कार्य ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।
कृषि में अपने क्रांतिकारी योगदान के अलावा, डॉ. स्वामीनाथन नवप्रवर्तन के पावरहाउस और कई लोगों के लिए एक प्रेरक गुरु थे। अनुसंधान और परामर्श के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने अनगिनत वैज्ञानिकों और नवप्रवर्तकों पर एक अमिट छाप छोड़ी है।
मैं डॉ. स्वामीनाथन के साथ अपनी बातचीत को हमेशा याद रखूंगा। भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।
बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा ने ट्वीट किया, 'भारत की हरित क्रांति के जनक डॉ. एमएस स्वामीनाथन के निधन से गहरा दुःख हुआ। डॉ. स्वामीनाथन एक बहुमुखी व्यक्तित्व थे, जिनके कृषि अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में अमूल्य योगदान ने इतिहास की दिशा बदल दी। ..उनके परिवार के सदस्यों और शुभचिंतकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना...।"
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, भारत की कृषि में क्रांति लाने के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन की दृढ़ प्रतिबद्धता ने हमें एक खाद्य अधिशेष देश में बदल दिया। हरित क्रांति के जनक के रूप में उनकी विरासत को हमेशा याद किया जाएगा। इस दुख की घड़ी में उनके प्रियजनों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं हैं।
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