देहरादून-धामी सरकार की बड़ी कार्रवाई जमीन घोटाले में दो IAS और एक PCS अधिकारी सहित कुल 12 अधिकारी निलंबित,बिजिलेंस की टीम करेगी घोटाले की जांच - PiyushTimes.com | Uttarkashi News

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Tuesday, June 3, 2025

देहरादून-धामी सरकार की बड़ी कार्रवाई जमीन घोटाले में दो IAS और एक PCS अधिकारी सहित कुल 12 अधिकारी निलंबित,बिजिलेंस की टीम करेगी घोटाले की जांच

देहरादून-धामी सरकार की बड़ी कार्रवाई जमीन घोटाले में दो IAS और एक PCS अधिकारी सहित कुल 12 अधिकारी निलंबित,बिजिलेंस की टीम करेगी घोटाले की जांच





देहरादून।।धामी सरकार ने हरिद्वार जमीन घोटाले के मामले में बड़ी कार्रवाई की है 15 करोड़ की ज़मीन 54 करोड़ में खरीदे जाने के मामले में आईएएस और PCS अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।हरिद्वार नगर निगम द्वारा कूड़े के ढेर के पास स्थित अनुपयुक्त और सस्ती कृषि भूमि को 54 करोड़ रुपये में खरीदने का मामला प्रदेश में सुर्ख़ियों था। इस मामले में न तो भूमि की वास्तविक आवश्यकता थी न ही पारदर्शी बोली प्रक्रिया अपनाई गई। शासन के स्पष्ट नियमों को दरकिनार कर एक ऐसा सौदा किया गया जो हर स्तर पर शक के दायरे में  था।





मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई और रिपोर्ट मिलते ही तीन बड़े अफसरों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की।जिन अधिकारियों पर कार्रवाई की गई, वे हैं उनमें कर्मेन्द्र सिंह, जिलाधिकारी (डीएम), हरिद्वार भूमि क्रय की अनुमति देने और प्रशासनिक स्वीकृति देने में इनकी भूमिका  पाई गई।वरुण चौधरी, पूर्व नगर आयुक्त, हरिद्वार इन्होंने बिना उचित प्रक्रिया के भूमि क्रय प्रस्ताव पारित किया और वित्तीय अनियमितताओं में प्रमुख भूमिका निभाई।अजयवीर सिंह एसडीएम जमीन के निरीक्षण और सत्यापन की प्रक्रिया में घोर लापरवाही बरती गई जिससे गलत रिपोर्ट शासन तक पहुंची।इन तीनों अधिकारियों को वर्तमान पद से हटाया गया है और शासन स्तर पर आगे की विभागीय और दंडात्मक कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है। यह केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री की जोरो ट्रोलेंस की नीति है इसके साथ ही निकिता बिष्ट (वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार), विक्की (वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक), राजेश कुमार (रजिस्ट्रार कानूनगों), कमलदास (मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार को भी जमीन घोटाले में संदिग्ध पाए जाने पर तुरंत प्रभाव से निलंबित किया है।




जांच अधिकारी नामित करने के बाद इस घोटाले में नगर निगम के प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल, प्रभारी अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट व अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल को प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर निलंबित कर दिया गया था। संपत्ति लिपिक वेदवाल का सेवा विस्तार भी समाप्त कर दिया गया था। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें सेवा विस्तार दिया गया था। उनके खिलाफ सिविल सर्विसेज रेगुलेशन के अनुच्छेद 351(ए) के प्रावधानों के तहत अनुशासनिक कार्रवाई के लिए नगर आयुक्त को निर्देश दिए गए थे।अब इस पूरे मामले की जांच विजिलेंस विभाग को सौंपी गई है धामी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब उत्तराखंड में चाहे कोई कितने बड़े पद हो भ्रष्टाचार बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा  अगर वह जनहित और नियमों की अवहेलना करेगा, तो कार्रवाई निश्चित है। इस ऐतिहासिक निर्णय से उत्तराखंड की जनता को यह संदेश मिला है कि अब भ्रष्टाचारियों की कोई जगह नहीं।

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