उत्तरकाशी-युवती नदी में बही गुस्साए ग्रामीणों ने राष्ट्रीय राजमार्ग को कुछ घण्टे तक किया जाम सिस्टम पर उठ रहे सवाल
उत्तरकाशी।।( ब्यूरो)जनपद मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्यूणा गांव के स्कूली बच्चे और ग्रामीण जान जोखिम में डालकर गंगा नदी पर स्वयं के संसाधनों से बनाई अस्थाई लकड़ी की पुलिया से आवागमन करने को मजबूर है ग्रामीण प्रतिवर्ष जब नदी का जलस्तर कम होता है तो गांव के पास ही नदी में अस्थाई लकड़ी का पुल तैयार करते है। क्योंकि गांव में आवागमन करने के लिए कोई भी स्थाई पुल नहीं है और गांव के ग्रामीण , स्कूली बच्चे, बीमार और बुजुर्ग इसी लकड़ी की पुलिया से आते जाते है। हालांकि इस अस्थाई लकड़ी की पुलिया पर आवागमन करना खतरे से खाली नहीं है। एक चूक जिंदगी पर भारी पड़ सकती है।हम तस्वीरों में देख सकते है।
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बताते चलें कि गंगोरी के निकट स्यूंणा गांव को जोड़ने वाली कच्ची लकड़ी की पुलिया से फिसलकर एक युवती भागीरथी नदी में बही। जिसे 150 मीटर दूर एक युवक ने जान जोखिम में डालकर बचाया। घटना के बाद स्यूणा गांव के गुस्साए ग्रामीणों ने गंगोत्री हाईवे पर ढेड़ घण्टे तक जाम लगा दिया।जिससे तीर्थयात्रियों को इस बीच जाम में फंसने के कारण खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा। उपजिलाधिकारी चतर सिंह चौहान ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि गांव को जोड़ने वाले पैदल मार्ग और ट्रॉली की मरम्मत की जाएगी। साथ ही इलेक्ट्रिक ट्रॉली के लिए जिलाधिकारी से ग्रामीणों की बैठक तय की गई। जिसके बाद ग्रामीणों ने जाम को खोला। लेकिन ग्रामीण शासन प्रशासन पर सवाल उठा रहे है कि लम्बे समय पुल और इलेक्ट्रिकल ट्रॉली की हम मांग कर रहे है लेकिन न तो जनप्रतिनिधि और न प्रशासन इस और ध्यान दे रहा है जिससे हम आज भी काला पानी की सजा भुगत रहे है।
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ग्रामीणों का कहना है कि जिला प्रशासन ने गांव के लिए एक ट्रॉली भी लगा रखी है। लेकिन ट्रॉली के रस्से जाम हो रखे है। जिस कारण ग्रामीण इस लकड़ी के पुल से आवागमन कर कर रहे हैं। वहीं स्कूली बच्चों का कहना है कि इस पुलिया से आने जाने में बहुत डर लगता है एक पैदल रास्ता भी है लेकिन वह भी जोखिम भरा है स्कूली बच्चे भी कह रहे है कि हमें आवागमन करने के लिए पुल की आवश्यकता है। ग्रामीण लंबे समय से शासन प्रशासन से गांव के लिए झूला पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि जब तक झूला पुल निर्माण नहीं हो जाता है तब तक इलेक्ट्रॉनिक्स ट्रॉली लगाई जाई ताकि आवागमन करने में सुविधा हो लेकिन आज तक न तो पुल का निर्माण हो पाया और न इलेक्ट्रॉनिक ट्रॉली लग पाई है जिस कारण पिछले लम्बे समय से ग्रामीणों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है हम तस्वीरों में देख सकते हैं कि किस प्रकार से ग्रामीण,स्कूली बच्चे कच्ची लकड़ी की पुलिया पर जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं।
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