उत्तरकाशी-धराली आपदा के बाद गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग की स्थिति डबरानी और सोनगाड़ के बीच काफी खतरनाक,राफ्टिंग बोट का सहारा,अस्वस्थता के बाद भी आपदा के मास्टर ट्रेनर का गजब जज्बा
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उत्तरकाशी।।जनपद के धराली आपदा के बाद सबसे ज्यादा खतरनाक स्थिति गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग डबरानी और सोनगाड़ के बीच बनी हुई है जहां पर सड़क पूरी वासआउट हो रखी है और अब पैदल आवागमन का भी रास्ता नहीं बचा है इसलिए इस स्थान पर अब राफ्टिंग बोट के माध्यम से एलपीजी सिलेंडर, मार्ग में फंसे राहगीरों को नदी से आरपार करवाया जा रहा है कई लोग धराली से पैदल उत्तरकाशी की ओर आ रहे हैं लेकिन डबरानी और सोनगाड़ के बीच पैदल मार्ग बंद होने से अब इस स्थान पर आपदा प्रबंधन ,एसडीआरएफ, अग्निशमन, एनआईएम की टीमों ने मोर्चा संभाला है और राफ्टिंग बोट के माध्यम से मार्ग में फसे लोगों, राहत सामग्री और मजदूरों को नदी के आर पार करवाया जा रहा है रास्ता काफी खतरनाक है एक चूक जिंदगी पर भारी पड़ सकती है क्योंकि गंगा भागीरथी नदी का जलस्तर काफी उफान पर है रेस्क्यू टीमों ने एक छोर से दूसरे छोर पर राफ्टिंग बोट पर रस्सी बांधकर दूसरे छोर पर खड़ी रेस्क्यू टीम राफ्टिंग बोट को खींच रही है जिसमें सिलेंडर और स्थानीय लोगों को आर पार करवाया जा रहा है।


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उत्तरकाशी में लगातार आपदाएं आती है और उससे निपटाने का जज्बा एक्सपर्ट रेस्क्यू टीमों में रहता है। धराली आपदा के बाद वर्तमान में जब डबरानी और सोनगाड़ के बीच पैदल आवागमन भी ठप हो गया तो इस घड़ी में आपदा प्रबंधन के मास्टर ट्रेनर मस्तान भंडारी ने मोर्चा संभाला और राफ्टिंग बोट के जरिए स्वयं अन्य टीमों के साथ नेतृत्व करते हुए टीम को बताते हुए की कैसे राफ्टिंग बोट को नदी में उतारना कैसे चलना है यह बताया और अभी लगातार 2 दिन से आपदा प्रबंधन के मास्टर ट्रेनर मस्तान भंडारी अपनी टीमों के साथ आपदा पीड़ितों की सेवा में जुटे हुए हैं और लगातार अपनी टीम के साथ लोगों को भागीरथी नदी से आर पार करवा रहे हैं और आपदाग्रस्त क्षेत्र में एलपीजी सिलेंडर, मजदूरों एवं आवश्यक राहत सामग्रियों को राफ्टिंग बोट के माध्यम से भागीरथ नदी पार कर भिजवा रहे हैं।उनके परिजनों के अनुसार मास्टर ट्रेनर मस्तान भंडारी अस्वस्थ है और करीब डेढ़ साल पहले मस्तान भंडारी के पेट की एक बड़ी सर्जरी हुई थी।स्वयं मस्तान भंडारी से जब पूछा तो उन्होंने कहा कि मेरे पेट में कैंसर था जिसका जब पता चला तो फिर मैने ऑपरेशन करवाया जिस कारण आज भी मुझे दिक्कतें होती है मस्तान भंडारी का कहना है कि आपदा पीड़ितों की सेवा ही मेरा सर्वोच्च धर्म है।अपनी दिक्कतें तो है पर आज धराली में जो हुआ वह मेरी शारीरिक समस्या के आगे काफी कम है मुझे आज भी दिक्कतें होती है। लेकिन अपने स्वास्थ्य की चिंता ना करते हुए मस्तान भंडारी लगातार आपदा पीड़ितों की सहायता में लगे हैं वहीं इस कार्य में एसडीआरएफ,एनआईएम और अग्निशमन सहित आपदा प्रबंधन के जांबाज कर्मचारी और सिपाही लगातार मौके पर डटे हुए।मस्तान भंडारी ने शैक्षणिक एवं स्वयंसेवी संस्थाओं में आपदा के बचाव के गुर सिखाए हैं।


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