उत्तरकाशी-शासन-प्रशासन की नजर में यह गांव जनपद का शायद ""दूरस्थ गांव"" है तभी ग्रमीण नदी के बीच मे अस्थाई पुलिया के सहारे आवागमन कर रहे,ग्रमीणों की स्थाई पुल की मांग नहीं हो रही पूरी - PiyushTimes.com | Uttarkashi News

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Friday, February 19, 2021

उत्तरकाशी-शासन-प्रशासन की नजर में यह गांव जनपद का शायद ""दूरस्थ गांव"" है तभी ग्रमीण नदी के बीच मे अस्थाई पुलिया के सहारे आवागमन कर रहे,ग्रमीणों की स्थाई पुल की मांग नहीं हो रही पूरी

 उत्तरकाशी-शासन-प्रशासन की नजर में यह  गांव जनपद का शायद ""दूरस्थ गांव"" है तभी ग्रमीण नदी के बीच मे अस्थाई पुलिया के सहारे आवागमन कर रहे,ग्रमीणों की स्थाई पुल की मांग नहीं हो रही पूरी  


उत्तरकाशी।।। राज्य की डबल इंजन  सरकार पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों तक विकास की बात के बड़े-बड़े दावे कर रही है। लेकिन इन दावों की  हकीकत बयां कर रही है स्यूणा गांव की भागीरथी नदी पर बनी अस्थाई पुलिया। तस्वीरों से ऐसा लग रहा है कि हो सकता है कि यह उत्तरकाशी जनपद का कोई दूरस्थ गांव होगा। लेकिन यह जनपद मुख्यालय से महज 4 किमी की दूरी पर स्थित स्यूणा गांव। जहां के ग्रामीणों का जीवन अस्थाई पुलिया के सहारे अटक कर रह गया है।ऐसा नहीं स्यूणा गांव के लोगों ने कई बार जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों तक स्थाई पुल की गुहार लगा चुके है लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है 



उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय से महज 4 किमी की दूरी पर स्थित स्यूणा गांव के ग्रामीणों का कहना है कि गांव में  35 से 40 परिवार निवास करते है स्यूणा  गावं दो ग्राम सभाओं मांडों और सिरोर के अंतर्गत आता हैं। लेकिन बाबजूद इसके आज तक शासन -प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की नजर ग्रामीणों की इस गंभीर  समस्या पर नहीं गई है। सर्दियों में भागीरथी नदी का जलस्तर कम होने पर ग्रामीण गंगोरी से स्यूणा गांव के लिए हर वर्ष लकड़ी की अस्थाई पुलिया बनाते हैं। जो कि मनेरी बांध से पानी छोड़े जाने पर नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण अस्थाई पुलिया बह जाती है।  फिर नदी का जलस्तर कम होने पर पुनः  ग्रामीण अस्थाई पुलिया का निर्माण करते हैं और वर्षों से यही सिलसिला जारी है।




स्युणा गांव के ग्रामीणों का कहना है कि गर्मियां आते ही नदी का जलस्तर बढ़ जाता है। तो फिर ग्रामीण करीब 3 किमी की अतिरिक्त पैदल दूरी भागीरथी नदी के किनारे से तय करते हैं। भागीरथी नदी के किनारे का यह पैदल रास्ता भी काफी खराब है अगर सम्भल के न चले तो भागीरथी नदी में बहने का खतरा रहता है लेकिन बरसात में कई बार पैदल रास्ते भी नदी के विकराल जलस्तर में डूब और बह जाते हैं और ग्रामीण अपने गांव में ही कैद होकर रह जाते हैं। लेकिन उसके बाद भी आजतक ग्रामीणों की किसी स्तर पर सुनवाई नहीं हो रही है।  



रिपोर्ट-हेमकान्त नौटियाल

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