उत्तरकाशी-सर्दियों के सीजन में जंगलों में वनाग्नि की घटनाओं को देखकर जिला प्रशासन भी हैरान ,वनाग्नि रोकने के लिए जिलाधिकारी ने वन विभाग सहित अन्य अधिकारी, कर्मचारियों को दिए जरूरी दिशा-निर्देश
*‘‘दो गज की दूरी ,मास्क जरूरी’’*
उत्तरकाशी।।।। फयर सीजन नहीं फिर भी जंगलों में आग लग रही है जिससे वन सम्पदा सहित वन्य जीवों को भारी नुकसान हो रहा है साथ ही सर्दियों के सीजन में आग लगने की घटनाओं को देखकर जिला प्रशासन भी हैरान है इसी को लेकर सोमवार को जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने विडियो कान्फ्रेंस कक्ष में वनाग्नि की महत्वपूर्ण बैठक लेते हुए उन्होनें सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों को वनाग्नि रोकथाम संबधी जरूरी दिशा-निर्देश दिये ।
जिलाधिकारी दीक्षित ने वनों में आग नहीं लगाने को लेकर वन पंचायतों, ग्राम प्रधानों को जागरूकता लाने के उदेश्य को लेकर प्रभागीय वनाधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होनें कहा कि जंगलों में आग लगाने वालों के खिलाफ़ भारतीय वन अधिनियम एंव आपदा एक्ट के तहत 6 माह का कारवास व जुर्मानें दोनों कार्यवाही प्रभावी रूप से की जाए।
जिलाधिकारी ने कहा कि वनाग्नि को रोकने के लिए जनपद में स्कॉट टीम बनायी जाए जो वनों में आग लगाने वालों पर पैनी नजर रखेंगे व उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही भी करेंगे। वनाग्नि की सम्भावनाओं को देखते हुए अपने-अपने क्षेत्रों में जन जागरूकता अभियान भी चलाएंगे तथा वनाग्नि से होने वाले नुकसानों से भी जनता को अवगत करवाएंगे।उन्होनें मुख्यालय के आस-पास आग लगने पर रेडक्रास को वन विभाग व आपदा प्रबंधन से आपसी समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिये ।
जिलाधिकरी ने सभी प्रभागीय वनाधिकारियों को निर्देश दिए कि वे कंट्रोल वर्निग करना भी सुनिश्चित करें साथ ही सड़कों के दोनों ओर पीरूल पत्तियां भी समयान्तर्गत हटवाना सुनिश्चित करें। उन्होंने जनता से अपील कि है कि वे राह चलते हुए जलती हुई बीड़ी सिगरेट न फेंके साथ ही उन्होंने सड़क महकमें के अधिकारियो से कहा कि जहां सड़क कार्य हो रहा हैं वहां भी मजदूरों द्वारा खाना बनाने आदि के लिए आग जलायी जाती है उसे पूर्णतः बुझाना सुनिश्चित किया जाए।
वन विभाग, आपदा प्रबंधन, पुलिस, फायर सर्विस, आदि विभाग आपसी समन्वय स्थापित करते हुए वनाग्नि से निपटने को लेकर मुस्तैदी से कार्य करें । वनाग्नि एक आपदा है इसलिए आपदा से निपटने के लिए हर समय तैयार रहे । जिलाधिकारी ने कहा कि वनों में आग लगने से जहां वन सम्पदा का नुकसान होता है वहीं वन- जीवों के साथ ही जल स्त्रोत सुखते है । ओर पर्यावरण को भारी हानि होती है, इसलिये वनों को आग से बचाना हम सभी का दायित्व है । उन्होनें न्याय पंचायत स्तर पर नोडल अधिकारी तैनात करने के निर्देश देते हुए कहा कि क्षेत्र में वन , पुलिस ,ग्राम, पंचायत विकास अधिकारी , राजस्व अधिकारी , सरपंच , ग्राम प्रहरी , संयुक्त रूप से आपदा प्रंबधन से आपसी समन्वय स्थापित करते हुए वनाग्नि नियंत्रण को लेकर कार्य करें, तथा वनाग्नि की सूचना तुरन्त आपदा कन्टोल रूम में देना सुनिश्चित करेगें ताकि जिला स्तर से भी टीम शीघ्रता से भेजी जा सके। सभी क्रु- स्टेशन में तैनात कर्मियों के दूरभाष नम्बर के साथ ही महिला मंगल दल व ग्राम स्तर के जनप्रतिनिधियों के दूरभाष नम्बर रखें ताकि वनाग्नि नियंत्रण पर शीघ्र उनकी मदद ली जा सके । उन्होनें अग्निशमन , एसडीआरएफ, पुलिस , वनाधिकारीयों को 24 घंटे तैयार रहने के निर्देश ।
जिलाधिकारी ने कहा कि आपसी समवन्य होना जरूरी है तभी मिलकर ही वनाग्नि पर नियंत्रण पा सकते है । इसीलिये सभी संबन्धित विभाग समवन्य स्थापित कर कार्य करना सुनिश्चित करें । उन्होनें कहा कि वनों से लगे ग्रामवासियों को वनाग्नि के प्रति जागरूक करें तथा वनाग्नि के दुष्परिणामों के बारे में भी बताये , आग बुझाना व नियंत्रित करना हम सभी का दायित्व है। आग पर निंयत्रण पाने के लिये जोश के साथ होश की भी जरूरत होती है इसलिए तकनीकि का प्रयोग किया जाए ।
बैठक में डीएफओ संन्दीप कुमार ,उपजिलाधिकारी भटवाड़ी देवेन्द्र सिंह नेगी , आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेन्द्र पटवाल, पर्यावरण प्रेमी प्रताप पोखरियाल सहित वन महकमें के अधिकारी मौजूद थे ।
रिपोर्ट-हेमकान्त नौटियाल
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